..

बापुंची वचने 1)अनिरुद्ध क्षेत्री जो आला शरण,तयासी कैसा भय दुःख भार 2)श्रद्धावान हाची माझा मित्र सखा,तयासी मी रक्षिन देवयान पंथी 3)ग्रंथराज हाची जयाचे अनुसंधान,तयाचा योगशेम मीची वाहे 4)जान मी न कधी टाकीन तुजसी,देईन नित्य मनः सामर्थ्य बल बुद्धि 5)मर्यादा हाची जयाचा तारक मार्ग,तयाचा मी आश्रय सर्वकाळ 6)जो जो मज स्मरे दृढ़भावे,तयासी आनंदघन देईन मी 7)मज सवे जो प्रेमे येइल,तयाचे अशक्य शक्य मी करीन 8)तू वानर मी मित्र तुझा खचित,रावण मरणार जान तू निश्चित 9)जेथ सेवा भक्ति शारन्य राहे,तेथ तेथ दाऊ नंदा अनिरुद्ध राहे

Sunday, November 17, 2013

मेरा यार खुदा है

|| मै मंदिर क्यों जावू ... मेरा यार खुदा है
मै मस्जिद क्यों जावू .... मेरा यार खुदा है
वो प्यार का सागर है... मेरी प्यास पुराणी
मैंने आँख से गटक लिया ... उस प्यार का पानी ||

मेरे साथ है हर वक़्त..हरी हरी
बोलो जय जय अनिरुद्ध हरी || 1 ||

|| मैंने बापू नाम लिया.. जीवन खुशबु खुशबु
अब्ब 'वो' ही मेहकता है... मेरे भीतर हर सुख
उसे देखते देखते मै... सारी उम्र गुजारु
कोई और ख़याल जो आवे.. उसे दूर भगाऊ ||

हर पल साथ खड़ा है जो .. वोह मेरा बापू
बोलो जय जय अनिरुद्ध हरी || 2 ||

|| बापू मन जो आवे ....चिंता दूर भगावे
बापू नाम जो लेवे...संकट दूर वो भागे
बापू जिस स्थान है खड़ा ... वो है मेरी अयोध्या
हम सब शेर है .. उस के योद्धा ||

मै मंदिर क्यों जावू ... मेरा यार खुदा है
मै मस्जिद क्यों जावू .... मेरा यार खुदा है ||3||

|| सब बोलो भाई विजयमंत्र
फिर स्वयं साथ आवे प्रभु श्री राम चन्द्र
नमन करो रे सब केसरी-नंदन
मन में प्रकटे अवधूतचिंतन ||

मै मंदिर क्यों जावू ... मेरा यार खुदा है
मै मस्जिद क्यों जावू .... मेरा यार खुदा है ... ||4 ||

-अभिजीतसिंह जोशी